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Peasant and Labor Movements in History, Study notes of Social Sciences

The history of peasant and labor movements in various countries, including Europe and India. It highlights the oppression faced by peasants and laborers at the hands of landlords and capitalists, leading to uprisings and rebellions. The document also mentions specific instances of such movements, such as the Peasant War in Germany and the Santal Rebellion in India. insights into the socio-economic conditions of the time and the struggles faced by the working class.

Typology: Study notes

2022/2023

Available from 12/05/2023

ritesh-kumar-32
ritesh-kumar-32 🇮🇳

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bg1
65th BPSC
Mains/Written
Examination-2020
Topic:
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65th BPSC

Mains/Written

Examination-

Topic:

किसान - मजदूर आंदोलन

एवं किहार

E ने The Peasant war in Germamy पुस्त  लिलखर उसमें

संमिध-ाल े किसान-मजदूर किवद्र ोहों ा वर्ण! न किया वरन् आस्ट्रिस् C या,

ोल , ुमP , भील , ब्राह्मण और दू सरी जा कित े अन्य लो र्ग भी इस तरह

े किRदोह में शामिमल हु ए। 1871 और 1875 े मध्य

खेड़ा ( र्ग ुजरात ), अहमदनर्ग र , पूना , रत्ना किर्ग री , सतारा , शोलापुर और

अहमदााद ( र्ग ुजरात ) जिजलों में भी र्ग ुजU , सूदखोड़ों ,

मारवाकिड़ यों , दूसरे किनयों े किवरूद्ध ' जेहाद ' ोले र्ग ए जिजना किववरण

' दशिWणी किसान दंर्ग ा - जाँच मीशन ' ी रिरपोट में दिदया

र्ग या है। सन् 1865 में अमेरिरा में हु ए र्ग ृहयुद्ध े ारण भारतीय रू ई

ा मूल्य तेजी से ढ़ने ल र्ग े। फलत : किसानो ने ाफी

ज सिलया। 1870 में इस युद्ध े समाप्त होते ही ए ाए मंदी आई

( इसा प्र भाव भारत में भी पड़ा ) जिजससे भारतीय किसान

ताह हो र्ग ए। अ भारतीय किसानों ी ऐसी स्थि. कित न रह र्ग ई कि वे सिलए

र्ग ए ऋण ो चुा से। फलत : साहू ारों और

जमींदारों उन ी जमीनों पर ज रन ब्जा रना शुरू किया।

उत्तर भारत े किहार - झारखण्ड ी समम्मिम् सिलत सीमा ा संथाल किवद्रोह , मुंडा किवद्रोह आ दिद भी ए प्र ार ा किसान आंदोलन ही था। मिमट हंटर नेस् ' देहाती ंर्ग ाल ा इकितहास ' में किनयों द्व ारा संथालों ी घी , दूध , वस्त्र , तन औरतो े लोहे े जेवर , अन्ना दिद लूट ा किवशद , पर ह्ृृ दयद्राव  वणन किया है। ंर्ग ाल में हु ए अन्य ृर्ष  आदेलन ी चचा भी उनी पुस्त  में मिमलती हैं। सन् 1917 े चंपारण किवद्र ोह तथा 1920. में ाा रामचन्द्र े नेतृत्व में अवध में हु ए किसान आंदोलन ने तो भारतीय इकितहास े किसान आंदोलन ा स् वरूप ही दल दिदया। नील आंदोलन , पावना किवद्रोह , दर्क्क  न किवद्रोह , उत्तर

देश मेंप्र किसान आन्दोलन , ूा किवद्र ोह , रामोसी किवद्र ोह ,

रंपाओं ा किवद्र ोह , तेभार्ग ा आंदोलन , तेलंर्ग ाना आंदोलन , किजोसिलया किसान आंदोलन आदिद भारत में हु ए प्र मुख किसान - मजदूर आन्दोलन ी र्ग ाथा सुनाते है।

शाह मोहम्मद जु ै र और श्र ी ृष्ण सिसoह ने 19 ५ 22-23 में मुंर्ग ेर में किसान सभा ी

जुैर ो किसान सभा ा अध्य W , श्री ृष्ण

सिसoह ो उपाध्य W तथा सिसद्धेश्व र चौधरी और नन्द र्क्क मार सिसoह ो ससिचव नाया र्ग या।

ी समस्याओं ा किनरोरण रना उने जीवन ा मूल लWण ना रहा। 1929

सरस्वती ो अध्य W तथा श्र ी ृष्ण सिसoह

ो ससिचव नाया र्ग या। यमुना ाजP , र्ग ुरूलाल सहाय और ैलाश लाल ो

1929 ी किवश्वव्यापी मंदी से ृकिर्ष उत्पादों े मूल्य में ाफी

किर्ग रावट आयी। इससे किसानों ी आय शून्यता ी ओर

ढ़ने ल र्ग ी और वे जमींदारों ा लर्ग ान चुाने में असमथ हो

र्ग ये। किर्ग रते हु ए मूल्यों े संधात से पीकिड़ त होर किसान

फटेहाल

होने लर्ग ेऔर उने अतस्तिस् वत् ा प्रश्न खड़ा हु आ। अपने

अतस्तिस् वत् ी रWा े सिलए किहार े किसानों ने आंदोलन ा

रास्ता अपना सिलया। किहार में जर्ग ह - जर्ग ह अने सभाओं ा

आयोजन किया जाने लर्ग ा। इन सभाओं में किसानों ी

शिशायतें

सूनी जाती और उन्हें दू र रने े उपायों पर किवचार - किवमश

किया जाता। किसानों े आuोश और उनी सकिuयता ने

जमींदारों

तथा साहारों ो संशकित र दिदया। दिदनो - दिदन ढ़ रहे

किसान आन्दोलन ी लोकिप्र यता पर अंक्श ल र्ग ाने ी उद्देश्य

से

जमींदारों ने दरभं र्ग ा महाराज ी अध्य Wता में United

Political Party ी .ापना ी। किसान आन्दोलन ो

मजोर रने

Wुद्द हो र किहार े जयप्र ाश नारायण और नरनंद्र देव ने ांग्रेस

किसान आन्दो सिलत ा हार्दि दo  वा स् र्ग त किया तथा उसा समथन किया। किहार े प्र मुख समाजवादी नेताओं रामनन्दन मिमश्र , अव्धेश्वर प्र सादे सिसहान् , रामवृW े नीपुरी , र्ग ंर्ग ाशरण सिसoह , अब्दुल ारी ने किसान सभा े माध्यम से ाम रना शुरू किया। धीरे - धीरे समूचे किहार में किसान सभा ा प्र भाव ढ़ने ल र्ग ा। ेवल दो वर्षU में ही सन् 1936 में ' ांग्रेस समाजवादी पा ट ' ी सदस्यता 2 50, 000 त पहुँच र्ग यी। इसी वर्ष लखनऊ में अखिखल भारतीय किसान सभा र्ग दिठत हु ई। सहजानंद इस े अध्य W और प्र ो. एन. जी. रंर्ग ा ो ससिचव नाया र्ग या। उन्होंनें किसान ी माँर्ग ों ो ांग्रेस े ायuमों ा अंर्ग ्नाने ी माँर्ग ी। ांग्रेस े समाजवादी किवचारधारा से प्र भा किवत सदस्यों े दा में किहार प्र ान्तीय ांग्रेस मिमटी ने रैयतों ी शिशायतों ी जाँच े सिलए राजेनद्र प्र साद ी अध्य Wता में किसान जाँच समिमकित ा र्ग ठन किया। इस जाँच ससरकित ने जून - जुलोई 1936 में र्ग या , पटना , शाहााद , छोटानार्ग पुर , भार्ग लपुर और कितरहुतुत े किवशिभन्न ज र्ग हों में घुम - घुमर अपना ाम पूरा किया।

समथन दिदया और उसने श्र ी ृष्ण सिसoह े नेतृत्व में किहार में ांग्रेसी मं कित्र मण्डल ी सरार नाई। अब्दुल ारी और रामवृW ेनीपुरी ने ांग्रेस ी नयी सरार े सामने जमीन्दारी उन्मूलन ा प्रस् ताव रखा। इस प्रस् ताव ो अमलीजामा पहनाने े सिलए ांग्रेस मं कित्र मण्डल ने 1937 में ही ाश्त भूमिम पुनवास ानून और किहार ाश्त ारी ानून पारिरत र दिदया। परन्तु ये दोनों ानून किसान सभा े नेता ो संतुष्ट न र सा। किसान नेताओं ने ज र्ग ह - जर्ग ह सभायें आयोजिजत र चुनावी वादा पूरा न किये जाने ो लेर ांग्रस मं कित्र मण्डल ी आलोचना ी। । सिसतम् र 1937 ो पूरे प्र ान्त में किसान दिदवस मनाया र्ग या। धीरे - धीरे किसान सभा और ांग्रेस े मध्य पुराना सौहा्द्र समाप्त होता चला र्ग या। 4 दिदसम् र 1937 ो ांग्रेस ने प्र ान्तीय सभा ु लाई जिजसमें अपने सदस्यों ा किसान सभा ी र्ग कितकिवसिधयों से अल र्ग रहने ा किनदश दिदया र्ग या। इससे ांग्रेस और किसान सभा े ीच दू री और भी ढ़ र्ग ई। 8 अर्ग सत 1938 ो किहार े सभी जिजला मुख्यालयों में किसानों ने प्र द शन किया। किहार में किसानों े अग्रणी नेता स् वामी सहजानन्द सरस्वती ने ड़ी संख्या में किसानों ो साथ लेर किहार किवधान सभा ा घेराव किया और प्र धानमंत्री श्र ी ृष्ण सिसo ह एवं ांग्रेस अध्य W राजेन्द्र प्र साद े किवरूद्ध नारे ाजी ी।

दरभंर्ग ा जिजले े पादरी , राघोपुर , देु ल और पंडौल में रामन्दन

मिमश्र े नेतृत्व में किसान आन्दोलन भड़  उठा। जमुना ायP

ने सारण े किसानो ा नेतृत्व किया। फरवरी 1939. में राहल

सांस् ृत्यायान ने अन्न ारी में सत्याग्रह शुरू किया। उन्होंने

जदतीस् ु आई और फसल टाई ा नारा ुलन्द किया।

जमीन्दारों ने आंत  ा सहारा लेर आन्दलन ो दाने ा

प्रयास

किया। पुसिलस ने आन्दोलन ो नेतृत्व प्र दान रनेवालों े साथ

 ी संख्या में उनड़ े समथों ो भी किर्ग रफ्तार र सिलया।

पर संघर्ष  े दौरान किसानों ने ड़ ी दिदलेरी े साथ पुसिलस और

जमीन्दार े लठैतों ा मुाला किया। 1930 े अन्त में

प्रान्तीय सर ार े त् या र्ग पत्र और खाद्यान्न मूल्यों में 20% ी

वृशिद्ध े पश्चात् ाश्त आन्दोलन ी र्ग कित मन्द पड़ने ल र्ग ी।

19 अप्ृै ल 1940 ो स् वामी सहजानन्द सरस्वती ो पटना जिजला में दिदये र्ग ये तीन भार्ष णों े युद्ध संद भ में हाकिनार होने े आरोप में किर्ग रफ्तार र सिलया र्ग या। उनी किर्ग रफ्तारी े ाद प्र ान्तीय किसान आन्दोलन ा नेतृत्व ायानन्द श मा े हाथों में आ र्ग या। ायानन्द श मा साम्यवादी दल े सदस्य थे। उन े नेतृत्व में किसान आन्दोलन ा ाम पटना , मुजफ्फरपुर दरभंर्ग ा , सारण चम्पारण , पूर्णिणo या , पलामू और संथाल परर्ग ना जिजलों में चलता रहा। 1 सिसतम् र 1940 ो प्र ान्त े ई .ानों पर किसान दिदवस मनाया र्ग या। 8-9 माच 1941 ो हु मराँव में आयो जिजत किहार प्र ान्तीय किसान सभा े सम्मेलनल में ांग्रेस समाजवादिदयों ने किसान संर्ग ठन पर किनयंत्रण .ाकिपत रने ा प्र यास किया। पर उन्हें सफलता नहीं मिमली समाजवादिदयों ने अलर्ग संर्ग ठन ना सिलया और रामवृW ेनीपुरी ो उसा अध्य W किनयुर्क्क त किया। रामवृW ेनीपुरी ी किर्ग रफ्तारी े ाद किसानों पर से समाजवादिदयों े प्र भाव में मी होने लर्ग ी और किसान आन्दोलन पर साम्यवादी प्र भाव में वृ शिद्ध हुई। अ र्ग तस् 1941 में यमुना ाजP ी अध्य Wता में आयोजिजत प्र ान्तीय किसान सभा ी ायसमिमकित ने सभी युद्ध किवरोधी ायवाकिहयों ो दन् रने ा किनणय सिलया। 9 माच 1942 ो हजारीार्ग जेल से रिरहा होने े ाद स् वामी सहजानन्द सरस्वती ने भी सर ार ो समथन देने ी नीकित ा पूण समथन किया। स् वामी तथा उन ी किसान सभा ते 942 े महात जिजन आन्दोलन से अपने आप ो दूर रखा और ब्र दिटश साम्राज्यवा दिदयों े युद्ध प्र यास े सहयोर्ग ी ुन र्ग ये। जयप्र ाश नारायण भारत छोड़ो आन्दोलन े जननाय नर उभरे। उने नेतृत्व में समाजवादी किवचारधारा से प्र भा किवत किसानों ने 1942 े मिब्र दिटश साम्राज्यवाद , किवरोधी न् र्ग न् े रू ें ेे ड़ ब्र त्त र्ग े र्ग ँ र्ग ँ ेंन् ै ु ै े ूे े ैप्र े श्च् ैं े न्ों न् हु े स् ंग्र ें त्त्ृ र्ग ै

1934 में ांग्रेस े अन्दर ांग्रेस समाजवादी पा्टी ी

.ापना हु ई। इस पा ट े प्र मुख नेताओं किवशेर्ष र जयप्र ाश

नारायण और अब्दुल ारी ने मजदूरो ी समस्याओं ी ओर

किवशेर्ष ध्यान दिदया। समाजवादी पाट े अन्य सदस्य यथा

सान

सिसoह , सत्यनारायण सिसoह , किशोरी शरण सिसoह , योर्ग ेन्द्रशु र्क्क ल ,

रिरयासत हु सैन आ दिद ने मजदूरों े किहत े सिलए ाम रना

शुरू

किया। 8 दिदसम् र 1938 ो पटना जेल में रिरहा होने े ाद

सुप्र सिसद्ध uातम्मिन् ारी ट्ेश्व र दत्त ने श्र मिम संघ आन्दोलन में

भार्ग लेने ा किनश्चय किया। इस उद्देश्य से वे जमशेदपुर र्ग ये

और मजदूरों से राष्ट्रीय स् वाधीनता आन्दोलन में भा र्ग लेने ा

आह्वान किया। इन समाजवादी किवचारधारा से ओत - प्रोत

ांग्रे सिसयों ने श्र मिमों े असंतोर्ष ो प्र ट रने े सिलए

प्रोत्सा किहत

किया। इन नेताओं ने किवशिभन्न श्र मिम संर्ग ठन .ाकिपत किये

जिजनमें अब्धुल ारी ा टाटा वस यूकिनयन और रिरयासत

हुसैन

एवं मेजर रायकिवश ा किडहरी श्र मिम संघ प्र मुख हैं। 1937-

38 े दौरान पूरे किहार में 11 श्र मिम हड़तालें हु ई। 1938-

39

में इनी संख्या में वृ शिद्ध हो र्ग यी। इस दौरान मुख्य रू प से

रोहतास उद्यो र्ग डालमिमयानर्ग र , र्ग या ाटन मिमल , जपला

सीमेन्ट व र्क्क सस्

इडस्तिण् यन म्पनी , दिटन प् लेट म्पनी ऑफ इ डस्तिण् या

जमशेदपुर , किहटा चीनी मिमल और पटना े किवशिभन

औद्यो किर्ग  ेन्द्रों में

हडतालें हु ई। इन सभी हड़तालों में किसी न किसी समाजवादी

नेता ी सकिuय भार्ग ेदारी थी। जयप्र ाश नारायण भी यदा -

द

इन Wेत्रों में जाया रते थे। 18 फरवरी 1940 ो

जयप्र ाश नारायण ने जमशेदपुर में मजदूरों ी समस्या पर

भाार्ष ण दिदया था

इसी भार्ष ण े सिलए उन्हें 1940. में भारतीय रWा ानून

े अन्त र्ग त किर्ग रफ्तार किया र्ग या था और 9 महीने ी डी

ैद

र्ग

किहार े मजदूरों ने अ सिधांशतया अपनी तत् ालीन माँर्ग ों ो

वी स् ार राने े उद्देश्य से हडताल किया था। उने

आन्दोलनों से किहार े राजनीकित रंर्ग मंच पर ई मजदूर

नेताओं ा अभ्युदय हु आ। ुछ राष्ट्रवादी नेताओं यथा सुभा र्ष

चन्द्र

ोस , जयप्र ाश नारायण , अब्दुल ारी आदिद ने भी किहार े

मजदूरों ा नेतृत्व किया था। सीमिमत प्र भाव वाले किहार े

मजदूर

आन्दोलन ने भारत ी आजादी ी लड़ाई में भी अपना थोड़ा -

हुत यो र्ग दान दिदया था।

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